कायस्थ समाज

एक गौरवशाली विरासत, एक संगठित प्रयास

कायस्थ समाज भारतीय सामाजिक संरचना में एक अत्यंत महत्वपूर्ण, शिक्षित, और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जाति के रूप में सदा से प्रतिष्ठित रहा है। कलम और न्याय के क्षेत्र में कायस्थों ने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था, कला, साहित्य, राजनीति, चिकित्सा, न्याय और व्यापार सभी क्षेत्रों में अपनी असाधारण प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है।

इसी महान समाज के एकीकरण और समुचित विकास के उद्देश्य से स्थापित की गई संस्था है —
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (अभाकाम)।


स्थापना और विधिक स्थिति

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की स्थापना वर्ष 1887 में हुई थी, जो इसे कायस्थ समाज की सबसे प्राचीन संस्था बनाती है। यह संस्था भारतीय सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत निकाय है, जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या 5680/1980-81 है।

सन् 1981 से यह संस्था विधिवत रूप से रजिस्टर्ड कार्यसमितियों के माध्यम से कार्य कर रही है। प्रत्येक कार्यसमिति का गठन महासभा के पंजीकृत सदस्यों द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया से होता है, जो पूर्ण पारदर्शिता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप है।


वर्तमान नेतृत्व एवं चुनाव प्रक्रिया

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की 2018-19 की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव 24 फरवरी 2018 को सम्पन्न हुआ। इस चुनाव में सर्वसम्मति से माननीय श्री सुबोधकांत सहाय, भारत सरकार के पूर्व मंत्री को महासभा का 82वां राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।

उनके नेतृत्व में महासभा ने एक नई ऊर्जा, दूरदर्शिता और सामाजिक समर्पण के साथ कार्य करना आरंभ किया, जिससे कायस्थ समाज के संगठनात्मक विकास को नया आयाम मिला।


महासभा का उद्देश्य

अभाकाम का मुख्य उद्देश्य कायस्थ समाज के एकीकरण, उनके अधिकारों की रक्षा, और सभी क्षेत्रों में समुचित विकास को सुनिश्चित करना है। संस्था इस सिद्धांत में विश्वास करती है कि:

“कायस्थ समाज का सर्वांगीण और संतुलित विकास ही उसकी परंपरागत गरिमा, संस्कृति, और प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण बनाए रख सकता है।”

महासभा का यह भी मानना है कि समाज की एकता और जागरूकता ही उसे आत्मनिर्भर, संगठित और सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर करती है।


कार्य एवं गतिविधियाँ

इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु अभाकाम देशभर में विभिन्न स्तरों पर योजनाबद्ध ढंग से सामाजिक, शैक्षणिक, और सांस्कृतिक अभियानों का संचालन करती है। प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं:

  1. सदस्यता अभियान:
    देश के हर कोने में फैले कायस्थों को महासभा से जोड़ने हेतु लगातार सदस्यता अभियान चलाया जाता है।

  2. शैक्षणिक सहयोग और छात्रवृत्तियाँ:
    जरूरतमंद व होनहार कायस्थ विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।

  3. सामाजिक चेतना कार्यक्रम:
    समाज में एकता, आत्मविश्वास और जागरूकता बढ़ाने हेतु संगोष्ठियाँ, सेमिनार और सामाजिक सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।

  4. वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं के लिए योजनाएँ:
    वरिष्ठ कायस्थजनों की सेवा व महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु विशेष कार्यक्रमों की योजना बनाई जाती है।

  5. युवाओं के लिए नेतृत्व निर्माण:
    युवा कायस्थों में नेतृत्व, उद्यमिता और राष्ट्र निर्माण की भावना जाग्रत करने हेतु विशेष शिविर एवं कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।


समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा न केवल एक संगठन है, बल्कि यह एक आंदोलन है —
कायस्थ समाज के आत्मगौरव, संगठनात्मक शक्ति और सामाजिक चेतना को जाग्रत करने का।
यह संस्था इस सोच के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है कि जब तक समाज संगठित नहीं होगा, तब तक उसकी प्रतिभा और सामर्थ्य का पूर्ण दोहन संभव नहीं हो पाएगा।


समाप्ति संदेश

आज आवश्यकता है कि कायस्थ समाज का प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर युवा वर्ग, इस संस्था से जुड़कर अपने समाज के लिए योगदान दे। एकजुटता, समर्पण, और नेतृत्व के माध्यम से ही हम अपने गौरवशाली अतीत को उज्ज्वल भविष्य में परिवर्तित कर सकते हैं।

“एकता ही शक्ति है — और अभाकाम इसका सशक्त प्रतीक है।”

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